कभी तो वक़्त ठहरा होगा जो तुम मिले क्या मुहब्बत की ओस गिरी होंगी जो तुम मिले या खिंचती हुई पवनों ने छुआ था जो तुम मिले समय की उस अबूझ पहेली में कोई तो बात थी जो तुम मिले धीमी सी दिल की धकधक में कुछ तो था जो तुम मिले तेरी पलकों के इशारे कुछ तो कह रहे थे जो तुम मिले कुछ तो जोड़ रहा था तेरे दिल को मेरे दिल से जो तुम मिले अब तुम ही बताओ इन इशारों की सदायें.. ये साजिश है या इत्तेफ़ाक जो तुम मिले सिर्फ तुम मिले ?.....Heartbeat