तुम भी वही हो, मैं भी वही हूँ, पर वक़्त तब भी कुछ और था, और वक़्त आज भी कुछ और है। तूने ज़माने से टकराने की हिम्मत कब रखी थी, तुझ में ज़माने का डर तब भी वही था, आज भी वही है। बड़ी मुश्किलों से काटी थी हिज्र की रातें मैंने, मेरी आँखों में तेरे इंतज़ार की तड़प तब भी वही थी, आज भी वही है। एक नज़र से तूने मेरी उन्सियत को ठुकराया था, तेरी आँखों में मेरा प्यार मज़ाक तब भी था, आज भी वही है। तेरी पनाहों में दो जहां का सुकून मिला था मुझको, मेरी ज़ीस्त को तेरी ज़रूरत तब भी वही थी, आज भी वही है। मेरी हर तमन्ना की बिखरन को समेटा था तूने, तुझसे टूटी मेरी उम्मीद की तड़प तब भी वही थी, आज भी वही है। ज़माने की रवायतें ज़रूरी थीं तेरे लिए, तुझ पर बंदिशें तब भी वही थी, आज भी वही है। अपनी आँखों के करार के लिए मैंने, रोज़ तेरे दर तक सफ़र किया था, तेरे लिए बेताबी मेरे दिल में तब भी वही थी, आज भी वही है। चंद लफ़्ज़ों में इश्क़ बयाँ करने का मौका ही ना मिल पाया था कभी, तुझसे ये क़ुबूल करने की हसरत तब भी वही थी, आज भी वही है। कम्बख़्त ज़माना कब आशिक़ों का यार हुआ है, दुश्म