मुझे उस लम्हे का इंतेज़ार है, जब तू मेरे पास होगी मेरा सर तेरी बाँहों मे होगा ,और तेरी जुल्फे मेरे गालो को सहलायेंगी .. तेरे नरम-नरम हाथ , जब मेरे हाथों मैं होंगे , उस वक़्त समां रंगीन और , साँसे मदहोश होगी .. और जब मैं तुझे अपनी और खिचूँगा तो तू , पहले मुस्कुराएगी फिर मेरी जान लेकर शरमाएगी …. उस समय तो चाँद भी तुझे देख जल जायेगा , जब प्यार की मदहोशी पुरे माहौल मैं छा जायेगी उस वक़्त रात भी घनेरी होगी ठंडी हवाएँ तेज़ी से चलेंगी , तब मेरे कंपकपाते को तू ही सहारा देगी … जब तेरी जुल्फों को तेरे कन्धों से हटाऊंगा , तो मेरे हाथ के छुवन से तू मचल जायेगी …… तेरे महरूम रंग के सूट को जब हलके से छूऊंगा तो , शरम के मारे तू मुझ से लिपट जाएगी .. तेरे शरीर की गरमाहट मुझे खामोश कर देगी , और तेरी बाहों की कसमसाहट मुझे तेरे आगोश मे भर देगी ……. तू भी पहले मेरे कमर को सहलाएगी और , फिर अपने होठो को मेरे पास लाकर कान काट जायेगी …. फिर मैं तेरे होठो को अपने होठो से यूँ मिलाऊंगा की, तेरे लबों के पानी को अपने होठों से पी जाऊंगा …. तारों की चमक से तेरा चेहरा यूँ रोशन होगा , की तेरे चेहरे
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