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RHYTAHM OF MIND

आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है पर मेरे दिल मे ना जाने क्यू ये एक confution की तरह उबल रहा है
क्या ये कोई शादीश है मेरे इस दिल की या मेरा वहम है मेरे खवाबों का वो सपना जो मुझे बस बहखा रहा है
आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है 
ना मे जानता हु ना मुझे पता है की ये क्या है बस इतना पता है की कोई तो है जो मूझे खीच रहा है बोल रहा है अपनी और खीच रहा है क्या तुम्हें ये पता है जो हो रहा है इस दिल मे
आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है 


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