शिकायत नहीं है मुझे आज तुमसे ,
शिकायत है मुझको तो आज खुद से ,
मेरी भूल थी यह मैं क्या जान बैठा ,
माट्टी के तन को खुदा मान बैठा,
यौवन को देवी बनाया था हमने,
सजदे में सर को झुकाया था हमने,
पूजा की वेदी सजाया था हमने।
मेरी भूल थी यह मै क्या जान बैठा,
माट्टी के तन को खुदा मान बैठा।
जागा था फिर भी खोया रहा मैं ,
यादो में तेरी खोया रहा मैं ,
खिलेंगे कभी तो फूले मोहब्बत ,
गुलिस्ता भरम का बनाता रहा मै ,
शिकायत नहीं है मुझे आज तुमसे ,
शिकायत है मुझको तो आज खुद से ,
मेरी भूल थी यह मैं क्या जान बैठा ,
माट्टी के तन को खुदा मान बैठा ।
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