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Ajeb Sa Naata....

Ye kaisa saya mere dil par hai chaya
Jise dekha bi nhi or mehsus hua bhi nhi
Ajeb sa naata jo tujhse jodna hai chaha
Rishta tuta bhi nhi or tu mila bhi nhi
Bedakhal bhi tujhe karu to karu kaise
Tera kabja bhi nhi or koi vaada bhi nhi
Zindagi tera bhi vishwas kaise karu
Tune kuch liya bhi nhi to diya bhi nhi
Guzar rahi hai zindagi meri kuch is trah
Manzil mili bhi nhi to rasta bacha bhi nhi

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RHYTAHM OF MIND

आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है पर मेरे दिल मे ना जाने क्यू ये एक confution की तरह उबल रहा है क्या ये कोई शादीश है मेरे इस दिल की या मेरा वहम है मेरे खवाबों का वो सपना जो मुझे बस बहखा रहा है आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है  ना मे जानता हु ना मुझे पता है की ये क्या है बस इतना पता है की कोई तो है जो मूझे खीच रहा है बोल रहा है अपनी और खीच रहा है क्या तुम्हें ये पता है जो हो रहा है इस दिल मे आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है 

मुझे उस लम्हे का इंतेज़ार है,जब तू मेरे पास होगी

मुझे उस लम्हे का इंतेज़ार है, जब तू मेरे पास होगी मेरा सर तेरी बाँहों मे होगा ,और तेरी जुल्फे मेरे गालो को सहलायेंगी .. तेरे नरम-नरम हाथ , जब मेरे हाथों मैं होंगे , उस वक़्त समां रंगीन और , साँसे मदहोश होगी .. और जब मैं तुझे अपनी और खिचूँगा तो तू , पहले मुस्कुराएगी फिर मेरी जान लेकर शरमाएगी …. उस समय तो चाँद भी तुझे देख जल जायेगा , जब प्यार की मदहोशी पुरे माहौल मैं छा जायेगी उस वक़्त रात भी घनेरी होगी ठंडी हवाएँ तेज़ी से चलेंगी , तब मेरे कंपकपाते को तू ही सहारा देगी … जब तेरी जुल्फों को तेरे कन्धों से हटाऊंगा , तो मेरे हाथ के छुवन से तू मचल जायेगी …… तेरे महरूम रंग के सूट को जब हलके से छूऊंगा तो , शरम के मारे तू मुझ से लिपट जाएगी .. तेरे शरीर की गरमाहट मुझे खामोश कर देगी , और तेरी बाहों की कसमसाहट मुझे तेरे आगोश मे भर देगी ……. तू भी पहले मेरे कमर को सहलाएगी और , फिर अपने होठो को मेरे पास लाकर कान काट जायेगी …. फिर मैं तेरे होठो को अपने होठो से यूँ मिलाऊंगा की, तेरे लबों के पानी को अपने होठों से पी जाऊंगा …. तारों की चमक से तेरा चेहरा यूँ रोशन होगा , की तेरे चेहरे

दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले

जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले