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मेरे ख्वाबों की दुनिया में तुम आओ तो सही…


तुम्हारे लिए ख्वाबों की एक दुनिया सजाई है मैंने
मेरे ख्वाबों की दुनिया में तुम आओ तो सही……………….
न जाने तुम अब तक क्यों मुझसे दूर हो
छोड़ कर सबकुछ मेरी बाहों में समा जाओ तो सही……………….
मैं तो हक से तुम्हें पुकारता हीं हूँ
अब तुम भी हक से मुझे बुलाओ तो सही……………….
बहुत सह ली हमने दूरियाँ
अब मुलाकातों का एक सिलसिला चलाओ तो सही……………….
मैंने तो तुम्हें अपना सबकुछ मान लिया है
अब तुम भी मेरे बन जाओ तो सही……………….
जैसे हमारी नजरों से बातें हुई थी
फिर उसी तरह मुझसे नजरें मिलाओ तो सही……………….
मेरा वजूद तो तुममें हीं समा गया है
तुम भी मेरे वजूद का हिस्सा बन जाओ तो सही……………….
जहाँ हम पहली बार मिले थे
फिर वहीं मुझसे मिलने आओ तो सही……………….
मैंने तो दूरियाँ मिटाने के सब जतन कर लिए
अब तुम भी करीब आ जाओ तो सही……………….
खुद की नजर से तो रोज देखा है तुमने खुद को
कभी मेरी नजरों में खुद को देखो तो सही……………….
माना प्यार की दुश्मन है दुनिया
पर प्यार में दुनिया को झुकाओ तो सही ……………….
प्यार में जो कभी किसी ने नहीं किया हो
प्यार में कुछ ऐसा कर जाओ तो सही……………….miss you so much..........

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RHYTAHM OF MIND

आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है पर मेरे दिल मे ना जाने क्यू ये एक confution की तरह उबल रहा है क्या ये कोई शादीश है मेरे इस दिल की या मेरा वहम है मेरे खवाबों का वो सपना जो मुझे बस बहखा रहा है आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है  ना मे जानता हु ना मुझे पता है की ये क्या है बस इतना पता है की कोई तो है जो मूझे खीच रहा है बोल रहा है अपनी और खीच रहा है क्या तुम्हें ये पता है जो हो रहा है इस दिल मे आज कुछ वही सा पुराना समा ठहर गया है 

मुझे उस लम्हे का इंतेज़ार है,जब तू मेरे पास होगी

मुझे उस लम्हे का इंतेज़ार है, जब तू मेरे पास होगी मेरा सर तेरी बाँहों मे होगा ,और तेरी जुल्फे मेरे गालो को सहलायेंगी .. तेरे नरम-नरम हाथ , जब मेरे हाथों मैं होंगे , उस वक़्त समां रंगीन और , साँसे मदहोश होगी .. और जब मैं तुझे अपनी और खिचूँगा तो तू , पहले मुस्कुराएगी फिर मेरी जान लेकर शरमाएगी …. उस समय तो चाँद भी तुझे देख जल जायेगा , जब प्यार की मदहोशी पुरे माहौल मैं छा जायेगी उस वक़्त रात भी घनेरी होगी ठंडी हवाएँ तेज़ी से चलेंगी , तब मेरे कंपकपाते को तू ही सहारा देगी … जब तेरी जुल्फों को तेरे कन्धों से हटाऊंगा , तो मेरे हाथ के छुवन से तू मचल जायेगी …… तेरे महरूम रंग के सूट को जब हलके से छूऊंगा तो , शरम के मारे तू मुझ से लिपट जाएगी .. तेरे शरीर की गरमाहट मुझे खामोश कर देगी , और तेरी बाहों की कसमसाहट मुझे तेरे आगोश मे भर देगी ……. तू भी पहले मेरे कमर को सहलाएगी और , फिर अपने होठो को मेरे पास लाकर कान काट जायेगी …. फिर मैं तेरे होठो को अपने होठो से यूँ मिलाऊंगा की, तेरे लबों के पानी को अपने होठों से पी जाऊंगा …. तारों की चमक से तेरा चेहरा यूँ रोशन होगा , की तेरे चेहरे

दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले

जो मिला मुसाफ़िर वो रास्ते बदल डाले दो क़दम पे थी मंज़िल फ़ासले बदल डाले आसमाँ को छूने की कूवतें जो रखता था आज है वो बिखरा सा हौंसले बदल डाले शान से मैं चलता था कोई शाह कि तरह आ गया हूँ दर दर पे क़ाफ़िले बदल डाले फूल बनके वो हमको दे गया चुभन इतनी काँटों से है दोस्ती अब आसरे बदल डाले इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले